जगतसिंहपुर और केंड्रापड़ा के किसानों के लिए चावल के एकीकृत कीट प्रबंधन पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित

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जगतसिंहपुर और केंड्रापड़ा के किसानों के लिए चावल के एकीकृत कीट प्रबंधन पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित

भाकृअनुप-सीआरआरआई, कटक में अनुसूचित जाति उप योजना (एससीएसपी) योजना के तहत 18 से 22 अगस्त, 2025 के दौरान जगतसिंहपुर और केंड्रापड़ा के किसानों के लिए “चावल के एकीकृत कीट प्रबंधन” पर पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। भाकृअनुप-सीआरआरआई, कटक के निदेशक डॉ. जी ए के कुमार ने कार्यक्रम का उद्घाटन किया जिन्होंने किसानों को खेती के लिए लाभ-आधारित दृष्टिकोण रखने के लिए प्रोत्साहित किया और किसानों की आय को बढ़ावा देने में एफपीओ की भूमिका पर प्रकाश डाला। डॉ श्यामारांजन दास महापात्र, अध्यक्ष, फसल सुरक्षा प्रभाग एवं पाठ्यक्रम समन्वयक ने पांच दिनों के प्रशिक्षण पाठ्यक्रम और निरंतर आर्थिक विकास के लिए चावल में कीट प्रबंधन के महत्व को रेखांकित किया और सीआरआरआई द्वारा विकसित वैकल्पिक ऊर्जा प्रकाश जाल (एईएलटी), सोलर 24 एक्स 7 कीट जाल, ट्राइकोकार्ड, फेरोमोन ट्रैप्स और राइसएक्स एैप के लाभों पर प्रकाश डाला। सीआरआरआई के अनुसूचित जाति उप योजना कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉ बी मंडल ने इस योजना के माध्यम से उपलब्ध लाभों के बारे में एक अंतर्दृष्टि दी और अनुसूचित जाति किसानों की आय के उत्थान के लिए सीआरआरआई द्वारा की गई विभिन्न गतिविधियों के बारे में बताया। डॉ रूपक जेना, वैज्ञानिक (सूत्रकृमिविज्ञान) और प्रशिक्षण कार्यक्रम के पाठ्यक्रम के सह-समन्वयक ने इस अवधि के दौरान किए जाने वाले प्रशिक्षण उद्देश्यों और विभिन्न कार्यकलापों को रेखांकित किया। कुल 22 किसानों ने सप्ताह भर चलने वाले प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लिया, जिन्हें ड्रोन के माध्यम से कीटों, रोग और चावल के सूत्रकृमि प्रबंधन पर, कीटनाशकों के सुरक्षित उपयोग के बारे में, बायोकेन्ट्रोल एजेंटों के माध्यम से पर्यावरण के अनुकूल कीट प्रबंधन पर प्रशिक्षित किया गया तथा उन्हें संस्थान के ओराइजा संग्रहालय, फेरोमोन उत्पादन इकाई और सीआरआरआई इंसेक्टेरियम दिखाया गया। कार्यक्रम में आधुनिक और प्रभावशाली खेती प्रथाओं के साथ कड़ी मजदूरी को कम करने पर जोर दिया गया जिससे उत्पादकता और आय मिलता है। केंड्रापड़ा जिले के एक किसान प्रतिभागी गोपाल जेना ने टिप्पणी की कि, “मुझे चावल के विभिन्न कीटों और रोगों के बारे में पता चला जो मुझे पहले नहीं पता था और अब मैं धान को प्रभावित करने वाले रोगों, कीटों और सू्त्रकृमि को अच्छी तरह से पहचान सकता हूं और उन्हें प्रबंधित करने के लिए स्थायी तरीके भी हैं।” किसान प्रतिभागियों को संस्थान में उत्पादित प्रशिक्षण सामग्री और बायोफर्टिलाइज़र के साथ प्रशिक्षण प्रमाण पत्र दिया गया।

Author: crriadmin