भद्रक जिले के राजुआलीबिंधा गांव में सीआरआरआई जैवउर्वरक मॉडल पर प्रशिक्षण सह प्रदर्शन कार्यक्रम आयोजित
जैवपोषक परियोजना के अंतर्गत ओडिशा के कृषक समुदाय के लिए सीआरआरआई जैवउर्वरक मॉडल पर प्रशिक्षण सह प्रदर्शन का आयोजन 04.02.2025 को भद्रक जिले के राजुआलीबिंदा गांव में किया गया। ओडिशा सरकार द्वारा वित्तपोषित इस अभिनव परियोजना के प्रधान अन्वेषक डॉ. उपेंद्र कुमार हैं। उन्होंने प्रतिभागियों को बताया इस परियोजना का उद्देश्य हानिकारक रासायनिक उर्वरकों की जगह किसानों के बीच पर्यावरण के अनुकूल जैवउर्वरकों को लोकप्रिय बनाना है। इस कार्यक्रम का समन्वयन सीआरआरआई, कटक के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. सुदीप्त पॉल ने किया। उन्होंने जैवपोषक परियोजना और जैवउर्वरकों के आर्थिक पहलुओं पर जोर दिया। बाह्य संसाधन व्यक्ति डॉ. संजय कुमार महांती, वरिष्ठ वैज्ञानिक और केवीके-भद्रक के प्रमुख मौजूद थे। उन्होंने व्यावहारिक प्रदर्शन के साथ-साथ उड़द में जैव उर्वरक के रूप में ट्राइकोडर्मा के महत्व पर विस्तार से बताया। परियोजना के अनुसंधान सहयोगी डॉ. साई कृष्णा रेपल्ली ने किसानों को एनआरआरआई-टेक डीकंपोजर के लाभों के बारे में बताया, जिसके बाद चावल के भूसे को मूल्यवान खाद में बदलने के लिए एनआरआरआई-टेक डीकंपोजर का व्यावहारिक प्रदर्शन किया गया। उन्होंने एनआरआरआई जैव उर्वरकों, एनआरआरआई एंडोएन और एनआरआरआई एंडोएनपीके के उपयोग पर भी जोर दिया, जो एनपीके की आवश्यकताओं की 25% तक भरपाई कर सकते हैं, जिससे किसानों द्वारा उपज से समझौता किए बिना रासायनिक उर्वरकों पर इनपुट लागत कम हो सकती है और पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ मिट्टी के स्वास्थ्य की रक्षा भी हो सकती है। परियोजना कर्मचारियों ने कार्यक्रम का संचालन किया, जहाँ कुल 105 किसानों और महिला किसानों ने भाग लिया और इस कार्यक्रम से लाभान्वित हुए।
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