हितधारक कार्यशाला में चावल की फसल के नुकसान के बोझ पर लैंगिक-आधारित अंतर्दृष्टि पर जोर

News

हितधारक कार्यशाला में चावल की फसल के नुकसान के बोझ पर लैंगिक-आधारित अंतर्दृष्टि पर जोर

कृषि और जैव विज्ञान अंतर्राष्ट्रीय केंद्र (सीएबीआई) ने भाकृअनुप-केंद्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (सीआरआरआई) के सहयोग से सीआरआरआई, कटक में 26 सितंबर 2025 को चावल की फसल के नुकसान के बोझ के लिंग आधारित विश्लेषण पर एक दिवसीय हितधारक कार्यशाला का आयोजन किया। यह कार्यक्रम कृषि और जैव विज्ञान अंतर्राष्ट्रीय केंद्र की वैश्विक फसल हानि बोझ (जीबीसीएल) पहल का एक भाग था जिसका उद्देश्य संसार भर में फसल हानि के पैमाने और कारणों के बारे में ठोस, साक्ष्य-आधारित जानकारी जुटाना है। इसे कृषि और जैव विज्ञान अंतर्राष्ट्रीय केंद्र, नई दिल्ली द्वारा वित्त पोषित किया गया। इस कार्यशाला में कटक, जगतसिंहपुर, भद्रक और केंद्रापाड़ा के किसानों और कृषक महिलाओं तथा सीआरआरआई, अन्य आईसीएआर संस्थानों, एमएसएसआरएफ, राज्य कृषि विभागों और कृषि विज्ञान केंद्रों के प्रतिनिधियों सहित कुल 75 प्रतिभागियों ने भाग लिया। उद्घाटन सत्र का आरंभ परियोजना के प्रधान अन्वेषक डॉ. बी. मंडल के स्वागत भाषण और आरंभिक टिप्पणियों से हुई। सीएबीआई की जेंडर एवं समावेशन विशेषज्ञ डॉ. कविता मिश्रा ने कार्यशाला के उद्देश्यों को रेखांकित किया और सीएबीआई की गतिविधियों का परिचय दिया। इसके बाद डॉ. अरुण जाधव ने वैश्विक फसल हानि बोझ (जीबीसीएल) परियोजना का अवलोकन प्रस्तुत किया। इस परियोजना के सह-प्रमुख डॉ. राहुल त्रिपाठी ने सीआरआरआई-सीएबीआई सहयोग पर प्रकाश डाला, जबकि फसल उन्नयन प्रभाग के अध्यक्ष डॉ. संघमित्रा सामंतराय और फसल उत्पादन प्रभाग के अध्यक्ष डॉ. प्रताप भट्टाचार्य ने इस आयोजन के महत्व पर अपने विचार साझा किए। सीआरआरआई के निदेशक डॉ. जी.ए.के. कुमार ने किसानों के साथ विचार-विनिमय किया, उन्हें चावल की खेती में फसल के नुकसान से संबंधित अपनी समस्याओं को खुलकर साझा करने के लिए प्रोत्साहित किया और सलाह दी कि सामूहिक प्रयास और सक्रिय भागीदारी से परियोजना के उद्देश्य को प्राप्त करने में मदद मिलेगी। उद्घाटन सत्र के समापन में परियोजना के सह-प्रमुख अन्वेषक डॉ. ए.के. मुखर्जी ने औपचारिक धन्यवाद ज्ञापन किया। उद्घाटन के बाद, कार्यक्रम में पूर्ण प्रस्तुतियाँ, विचार-मंथन सत्र, किसानों के साथ संवादात्मक चर्चाएँ और व्यक्तिगत अनुभवों का आदान-प्रदान शामिल था। समापन सत्र में मुख्य अंतर्दृष्टि का सारांश प्रस्तुत किया गया और चावल की फसल के नुकसान को समझने और उससे निपटने में लैंगिक-आधारित उपाय को शामिल करने के महत्व पर ज़ोर दिया गया।

Author: crriadmin