अम्लीय मृदा के प्रबंधन हेतु बेसिक स्लैग और फ्लाई ऐश के पर्यावरण अनुकूल उपयोग पर सीआरआरआई में राष्ट्रीय कार्यशाला आयोजित ![]()
बेसिक स्लैग और फ्लाई ऐश, जो इस्पात उद्योग का उप-उत्पाद हैं, लंबे समय से पर्यावरणीय चुनौतियाँ उत्पन्न करते रहे हैं। ‘SAFAR’ नामक परियोजना ने इन औद्योगिक कचरों को EcoLime+ में बदलकर एक नया समाधान प्रस्तुत किया है जो मृदा मिट्टी में सुधार करने, अम्लीय मृदाओं का प्रबंधन करने, कृषि उत्पादकता बढ़ाने और चक्रीय पत्र अर्थव्यवस्था के प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए कल्पना किया गया है। यह पहल ओडिशा के छह जिलों में पहले से ही चल रही है। इसे दूसरे जिलों तक बढ़ाने के उद्देश्य से, भाकृअनुप–केंद्रीय चवल अनुसंधान संस्थान, कटक ने आगामी विश्व मृदा दिवस समारोह के पूर्व एक राष्ट्रीय स्तर का कार्यशाला आयोजित किया जिसका विषय था अम्लीय मृदा प्रबंधन के लिए बेसिक स्लैग और फ्लाई ऐश का पर्यावरण-मैत्रीपूर्ण उपयोग। यह कार्यक्रम ओडिशा सरकार द्वारा वित्तपोषित SAFAR परियोजना के तहत आयोजित किया गया था।
कार्यशाला में भाकृअनुप–सीआरआरआई की सतत कृषि, मृदा स्वास्थ्य सुधार तथा शोधकर्ताओं, नीतिनिर्माताओं एवं उद्योग साझेदारों के बीच सहयोग को मजबूत करने की प्रतिबद्धता पर बल दिया गया। चर्चाओं का मुख्य केंद्र EcoLime+ के उत्पादन तथा खेत-स्तर पर इसके अपनाने को बढ़ाने के लिए एक व्यावहारिक और व्यापक रूप से लागू किए जा सकने वाले दिशानिर्देश का विकास था। हितधारकों ने कच्चे माल की उपलब्धता, उत्पादन से संबंधित लॉजिस्टिक्स, गुणवत्ता नियंत्रण, नियामक अनुमोदन और बाजार संपर्क से जुड़े अवसरों एवं चुनौतियों पर विचार-विमर्श किया। तैयार की गई सिफारिशों का एक समेकित दस्तावेज ओडिशा सरकार को एक राज्य-स्तरीय कार्ययोजना के रूप में प्रस्तुत किया जाएगा, जिससे बड़े पैमाने पर अम्लीय मृदा प्रबंधन के प्रयासों को समर्थन मिल सके।
श्री सुब्रांशु मिश्र, अतिरिक्त सचिव, कृषि और किसान सशक्तिकरण विभाग, ओडिशा सरकार, मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित हुए और अम्लीय मृदा की चुनौतियों का समाधान करने की आवश्यकता तथा कृषि उत्पादकता सुधारने में EcoLime की भूमिका पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम में ओडिशा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पर्यावरण इंजीनियर श्री देबब्रत सेठी और अंतर्राष्ट्रीय अर्ध-शुष्क उष्णकटिबंधीय फसल अनुसंधान संस्थान, भुवनेश्वर के वैज्ञानिक डॉ. अविराज दत्ता सम्मानित अतिथि थे। सीआरआरआई के निदेशक डॉ. जी ए के कुमार ने कार्यशाला की अध्यक्षता की।
इस कार्यक्रम में लगभग 85 प्रतिभागी शामिल हुए, जिनमें ओडिशा सरकार के अधिकारियों, टाटा स्टील (मेरामंडली एवं कलिंगनगर), वेदांता प्राइवेट लिमिटेड, हार्सको इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, प्राण क्लाइमेटेक प्राइवेट लिमिटेड, आरएम एग्रिको जैसी उद्योगों के प्रतिनिधि और बायोटेज प्राइवेट लिमिटेड जैसे स्टार्टअप्स, किसान उत्पादक संगठनों तथा अंगुल, ढेंकानाल, झारसुगुड़ा, सुंदरगढ़, जाजपुर और कटक जिलों के किसान शामिल थे।
फसल उत्पादन प्रभाग के अध्यक्ष और ‘सफर’ परियोजना के प्रधान अन्वेषक डॉ. प्रताप भट्टाचार्य ने आमंत्रित अतिथियों का हार्दिक स्वागत किया और कार्यशाला के उद्देश्य के बारे में बताया। डॉ. मनीष देबनाथ आयोजक सचिव के रूप में तथा डॉ. रुबीना खानम एवं डॉ. डी.आर. सडंगी ने सह-आयोजक सचिव के रूप में कार्यक्रम का समन्वयन किया।
![]() |
![]() |
![]() |
![]() |



