भाकृअनुप-सीआरआरआई द्वारा विकसित भूरा पौध माहू कीट प्रतिरोधी किस्मों से ओडिशा में चावल की खेती मजबूत
राष्ट्रीय कृषि विकास योजना द्वारा वित्त पोषित “ओडिशा के चावल किसानों की आय बढ़ाने के लिए भूरा पौध माहू (ब्राउन प्लांट हॉपर) प्रतिरोधी चावल किस्म का लोकप्रियकरण” शीर्षक परियोजना के तहत चल रहे प्रयासों के एक भाग के रूप में, केंद्रीय चावल अनुसंधान संस्थान, कटक के फसल सुरक्षा प्रभाग के अध्यक्ष और परियोजना के प्रधान अन्वेषक डॉ. एस.डी. महापात्र ने ओडिशा के 10 जिलों के 17 गांवों में एक सफल अभियान कार्यक्रम आयोजित किया था।
इस विस्तृत अभियान में, डॉ. एस.डी. महापात्र के नेतृत्व में उनकी परियोजना में शामिल वैज्ञानिकों ने बालासोर, बरगढ़, नयागढ़, सोनपुर, संबलपुर, अनुगुल, कटक, पुरी, जगतसिंहपुर, भद्रक और मयूरभंज जिलों में भूरा पौध माहू प्रतिरोधी चावल की किस्में, सीआर धान-317 और सीआर धान-805 कृषक समुदाय को वितरित कीं। कुल 343 किसानों को सीआर धान-317 की 1,050 किलोग्राम और सीआर धान-805 की 2,180 किलोग्राम बीज वितरित की गईं। सीआरआरआई के वैज्ञानिकों ने किसानों को एकीकृत कीट प्रबंधन प्रथाओं और भूरा पौध माहू प्रतिरोधी चावल किस्मों की खेती के लाभों के बारे में वर्णन किया।
इस एकीकृत उपाय के माध्यम से, सीआरआरआई ओडिशा के किसानों को स्थिर, कीट-प्रतिरोधी चावल की खेती के विकल्पों सहित सशक्त बना रहा है, जिससे फसल उत्पादकता और ग्रामीण आजीविका में वृद्धि हो रही है।
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