कटक, खोरधा और अनुगुल के एससीएसपी लाभार्थियों के लिए चावल में एकीकृत कीट प्रबंधन पर प्रशिक्षण कार्यक्रम
भाकृअनुप-केंद्रीय चावल अनुसंधान संस्थान, कटक ने अनुसूचित जाति उपयोजना (एससीएसपी) योजना के तहत कटक, खोरधा और अनुगुल जिलों के अनुसूचित जाति (एससी) किसानों के लिए 15 से 19 सितंबर 2025 के दौरान “चावल में एकीकृत कीट प्रबंधन”पर पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया। इस कार्यक्रम का उद्घाटन संस्थान के निदेशक डॉ. संघमित्रा सामंतराय ने 15.09.2025 को किया, जिन्होंने किसानों को अधिक लाभप्रदता के लिए चावल में जलवायु-अनुकूल और स्थायी कीट प्रबंधन पद्धतियों को अपनाने और पर्यावरण-अनुकूल कीट नियंत्रण उपायों तथा ड्रोन-आधारित कीटनाशक प्रयोग जैसी आधुनिक तकनीकों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया। फसल सुरक्षा प्रभाग के अध्यक्ष एवं पाठ्यक्रम निदेशक डॉ. एस डी महापात्र ने प्रशिक्षण कार्यक्रम के उद्देश्यों को रेखांकित किया और लागत कम करने तथा चावल की उत्पादकता बढ़ाने में एकीकृत कीट प्रबंधन रणनीतियों के महत्व पर प्रकाश डाला। एससीएसपी के नोडल अधिकारी डॉ. पी सी जेना ने एससीएसपी परियोजना के लाभों के बारे में बताया और किसानों को अपनी आजीविका को सुदृढ़ बनाने के लिए उपलब्ध अवसरों का लाभ उठाने के लिए प्रेरित किया। पाठ्यक्रम समन्वयक, श्री अन्नामलाई एम, डॉ. कीर्तना यू, और डॉ. राजन कंबोज ने पाँच दिवसीय प्रशिक्षण गतिविधियों का समन्वय किया जबकि सह-समन्वयक, डॉ. पी सी जेना और डॉ. डी आर सडंगी ने कार्यक्रम के सुचारू संचालन के लिए अपना सहयोग प्रदान किया। कुल 22 किसानों (8 महिला और 14 पुरुष) ने प्रशिक्षण में भाग लिया। पाठ्यक्रम के दौरान, विभिन्न प्रभागों के वैज्ञानिकों ने व्याख्यान दिए और व्यावहारिक सत्र आयोजित किए। प्रशिक्षण में कीटों और रोगों की पहचान और प्रबंधन, पर्यावरण-अनुकूल कीट प्रबंधन, ड्रोन-आधारित कीटनाशक प्रयोग, कीटनाशकों का सुरक्षित उपयोग, मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन, एकीकृत पोषक तत्व प्रबंधन और जलीय कृषि जैसे विषयों को शामिल किया गया। ड्रोन का उपयोग करके कीटनाशक छिड़काव, ट्राइको कार्ड, ब्रेकन कार्ड, फेरोमोन ट्रैप, ट्राइकोडर्मा, सौर प्रकाश ट्रैप आदि जैसे पर्यावरण-अनुकूल कीट नियंत्रण उत्पादों के प्रदर्शन पर विशेष जोर दिया गया। किसानों को राइसएक्सपर्ट ऐप और डीएएमयू परियोजना जैसी डिजिटल सलाहकार सेवाओं का उपयोग करने के लिए भी जागरूक किया गया। प्रतिभागियों ने संस्थान के ओराइजा संग्रहालय, फेरोमोन उत्पादन इकाई, जैव नियंत्रण इकाई और कीटपालन केंद्र का भी दौरा किया, जिससे उनका व्यावहारिक ज्ञान बढ़ा। समापन समारोह के दौरान, भाकृअनुप-सीआरआरआई के निदेशक डॉ. जी ए के कुमार ने किसानों की सक्रिय भागीदारी की सराहना की और उनसे स्थायी चावल की खेती के लिए एकीकृत कीट प्रबंधन पद्धतियों को अपनाने का आग्रह किया। समापन कार्यक्रम में चावल के पीले तना छेदक और फल मक्खी के लिए ल्यूर युक्त फेरोमोन ट्रैप और प्रभावी कीट प्रबंधन के लिए ट्राइको कार्ड, पोषक तत्व प्रबंधन के लिए जैव उर्वरक एंडोएन और कीटनाशकों के सुरक्षित उपयोग के लिए व्यक्तिगत सुरक्षा किट जैसे इनपुट वितरण किया गया।
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